“मुंबई अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए आवश्यक वाइल्डलाइफ क्लीयरेंस, सी.आर.ज़ेड क्लीयरेंस ली जा चुकीहै तथा फॉरेस्ट क्लीयरेंस हमें प्राप्त हुई थी कुछ शर्तों के साथ में। उसमे पर्यावरण मंत्रालय ने एक शर्त लगाई थी कि हमथाने स्टेशन के डिजाइन को रिव्यू करें ताकि मैनग्रोव प्रभावित जो क्षेत्र है उनको कम किया जा सके। मुझे यह बताते हुएखुशी हो रही है कि हमने इस एक्सरसाइज को काफी डिटेल में किया कि किस प्रकार से थाने स्टेशन की लोकेशन कोबगैर बदले हुए हम मैनग्रोव के क्षेत्र में किस प्रकार से कमी ला सकते है और उस डिजाइन को जापानी इंजीनियरस केसाथ में डिसकस करते हुए हम लोगों ने उस डिजाइन को परिवर्तित किया है। पैसेंजर्स एरिया जैसे पार्किंग एरिया औरपैसेंजर्स हैंडलिंग एरिया, उसको अब हम लोगों ने मैनग्रोव से निकाल कर के मैनग्रोव क्षेत्र से बाहर कर दिया है। स्टेशन कीलोकेशन वही है लेकिन यह रिडिजाइन करके अभी जो पहले 12 हेक्टर मैनग्रोव एरिया प्रभावित हो रहा था थाने में, अबकेवल 3 हेक्टेयर प्रभावित हो रहा है। इस प्रकार से हमने करीब 21000 मैनग्रोव में कमी कर दी है और अब 32044 मैनग्रोव ही प्रभावित हो रहे है पूरे प्रोजेक्ट से, जिसमे की करीब 21000 की जो पहले 53000 मैनग्रोव प्रभावित हो रहे थे।अब 21000 से कम हो कर के 32044 मैन्ग्रोव प्रभावित हो रहे है और यह भी मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि यह मैनग्राव कानेट लॉस नहीं है, क्योंकि एनएचएसआरसीएल जो बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में प्रभावित मैनग्रोव है, उनको 1:5 की रेशो में पैसाजमा करके मैनग्रोव सेल में जमा करेगी जोकि कम्पेन्सेटरी एफआरएस स्टेशन मैनग्रोव का करेगा, तो जितने मैग्रोवे काटरहे है जैसे 32044 मैनग्रोव है तो लगभग 1,60,000 मैनग्रोव नए लगाए जायेंगे और इसका जो पूरा आर्थिक खर्चा है वोपूरा एनएचएसआरसीएल वहन करेगी। मैनग्रोव सेल के माध्यम से, ये नए मैनग्रोव लगाए जायेंगे।“