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एनएचएसआरसीएल के बारे में

एनएचएसआरसीएल के बारे में

नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड

नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) को भारत में हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के वित्त, निर्माण, रखरखाव और प्रबंधन के उद्देश्य से 12 फरवरी 2016 को कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत निगमित किया गया था। कंपनी को रेल मंत्रालय और दो राज्य सरकारों, गुजरात सरकार और महाराष्ट्र सरकार, के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा इक्विटी भागीदारी के साथ संयुक्त क्षेत्र में 'विशेष प्रयोजन वाहन' के रूप में तैयार किया गया है।

एक प्रोद्योगिकीय चमत्कार होने के आलावा हाई-स्पीड रेल (एचएसआर) परियोजना, यात्रा के समय तथा वाहन संचालन लागत में बचत, प्रदूषण में कमी, रोजगार सृजन, दुर्घटनाओं में कमी/बढ़ी हुई सुरक्षा, आयातित ईंधन प्रतिस्थापन, और प्रदूषकों में कमी जैसे कई निर्धारण योग्य लाभ प्रदान कर सकेगी। यह परियोजना आधारिक संरचना को मज़बूती प्रदान कर अर्थव्यवस्था के विकास में भी योगदान करेगी। एचएसआर विभिन्न घटकों यानि हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, ह्यूमन-वेयर, और उनके इंटरफेस इत्यादि के समग्र अनुकूलन वाली एकीकृत प्रणाली होगी।

कंपनी को हाई-स्पीड कॉरिडोर के संचालन को निष्पादित करने के लिए लगभग 3000 - 4000 अधिकारियों (अनुमानित) की जनशक्ति बल की आवश्यकता होगी। यह अपेक्षित जनशक्ति हाई-स्पीड प्रौद्योगिकी के कार्यान्वयन में अत्यधिक कुशल होनी चाहिए जिससे परियोजना को कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से निष्पादित किया जा सके। इसलिए, इस अपेक्षा को पूरा करने के लिए कंपनी ने वड़ोदरा में एक विशेष प्रशिक्षण संस्थान का निर्माण शुरू किया है।

कंपनी भारत को हाई स्पीड रेलवे सिस्टम का उपयोग करने वाले दुनिया के चंद देशों (लगभग 15) की श्रेणी में शामिल करेगी।

एनएचएसआरसीएल  कॉर्पोरेट कार्यालय दूसरा फ्लोर, एशिया भवन, रोड नं. 205, सेक्टर 9, द्वारका, नई दिल्ली - 110077.

हमारी नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट यहाँ देखी जा सकती है                                          एनएचएसआरसीएल विवरणिका यहाँ देखी जा सकती है

हाई-स्पीड रेल के लाभ

ऐसे कई सामाजिक और आर्थिक लाभ हैं जो हाई-स्पीड रेल की पेशकश के साथ आते हैं। सबसे नए उदाहरण जापान, यूरोप और चीन के हैं, जहाँ हाई स्पीड रेल ने विभिन्न शहरों और कस्बों के बीच हाईस्पीड कनैक्टिविटी उपलब्‍ध करवाकर आम नागरिकों के लिए अद्भुद काम किया है।

सामाजिक लाभ: हाई-स्पीड रेल के किफ़ायती यात्रा, CO2 उत्सर्जन में कमी, समान यात्री क्षमता के लिए 6 लेन राजमार्ग की तुलना में अपेक्षाकृत कम भूमि की आवश्यकता और अधिक आर्थिक गतिविधि और तेज़ संयोजकता के कारण रोज़गार सृजन जैसे कई साकारात्मक बाहरी कारक हैं।

आर्थिक लाभ: एचएसआर परिवहन घरेलू विद्युत शक्ति द्वारा संचालित होगा, न कि कार तथा विमानों में प्रयोग होने वाले डीज़ल/पैट्रोल तथा विमानन ईंधन की तरह, जो कि काफी हद तक आयात किए जाते हैं। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को लाभ होगा और आयातित ईंधन पर इसकी निर्भरता घटेगी।

लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस और हैम्बर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, नई हाई-स्पीड लाइन से जुड़े शहरों ने, उन पड़ोसी शहरों की तुलना में जो उस मार्ग पर नहीं हैं, अपने GDP में कम से कम 2.7% की वृद्धि देखी है। उनके अध्ययन में यह भी पाया गया कि हाई-स्पीड रेल के माध्यम से बाज़ार पहुँच में बढ़ोत्तरी का पारस्परिक संबंध GDP में वृद्धि के साथ है- बाजार की पहुंच में हर 1% की वृद्धि से, GDP में 0.25% की वृद्धि होती है। इनका शोध कलोन और फ्रैंकफर्ट के बीच की लाइन पर केंद्रित था, जो वर्ष 2002 में खुली थी और जिस पर 300 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनें चलती हैं।

हाई-स्पीड रेल की सवारी: हाई-स्पीड रेल की पेशकश से एनएचएसआरसीएल का उद्देश्य अन्‍तर्शहरी यात्रा में आम परिवहन प्रणाली की हिस्‍सेदारी में बदलाव लाने का है। हमारा उद्देश्य तीन घटकों द्वारा पैसेंजर ट्रैफि़क को मोड़ना/पेश करना है। परिवर्तित मांग, जो यात्रियों के माध्‍यम के चयन में परिवर्तन से उत्‍पन्‍न होती है, जैसे अन्‍य माध्‍यमों (उदाहरण, कार, वायुमार्ग) या अन्‍य रेल सेवाओं (उदाहरण, अंतर्शहरी); जैसे एचएसआर की ओर मुड़ जाती है; अर्थव्यवस्था-आधारित मांग वृद्धि, जिसे इस धारणा के तहत भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के विकास के रुझानों से जोड़ा जाता है कि लोग जितने अधिक धनवान होते हैं वे उतनी ही अधिक यात्रा करते हैं; और प्रेरित मांग जो सामान्यीकृत यात्रा लागत पर या तो "प्रत्यक्ष रूप से", या यात्रियों की गतिशीलता या जीवनशैली विकल्पों के बदलावों पर "अप्रत्यक्ष रूप से" निर्भर करती है।

एनएचएसआरसीएल  का लक्ष्य शुरुआत में प्रत्येक दिशा में हर दिन 17,900 यात्रियों की सेवा करना है, जो बाद में वर्ष 2053 तक बढ़कर प्रत्येक दिशा में 92,900 यात्री प्रति दिन हो जाएगा।

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