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एचएसआर का आर्थिक महत्व और संवेदनशीलता

भारत की ज़मीन पर वर्ष 1853 में पहली भाप से चलने वाली यात्री ट्रेन की शुरुआत के साथ राष्ट्र के आर्थिक जुड़ाव को सशक्त बनने की दिशा में पहला अहम मोड़ आया। तब से हर दिन लगभग 22 मिलियन से अधिक यात्रियों (लगभग 3 मिलियन यात्री परिवहन करते हैं, जो पूरी ऑस्ट्रेलियाई आबादी के बराबर है) के परिवहन से लेकर हर साल 1.2 बिलियन टन से अधिक माल ढुलाई करने तक भारतीय अर्थव्यवस्था को आकार देने में ट्रेनों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। (स्रोत:  https://indianrailways.gov.in/railwayboard/uploads/directorate/stat_econ/Annual-Reports-2019-2020/Year-Book-2019-20-English_Final_Web.pdf)

इतनी विशाल संख्या में यात्रियों के परिवहन और सामानों को ढोने की जिम्मेदारी निभाने की वज़ह से, रेलवे को लागत गहन इकाई के रूप में जाना जाता है। वर्तमान अनुमान के अनुसार, भारतीय रेलवे में किए जाने वाले किसी भी निवेश का अर्थव्यवस्था पर 5 गुना प्रभाव पड़ेगा। (स्रोत: https://www.rediff.com/money/interview/railways-have-a-5x-multiplier-effect-on-the-economy/20160224.htm). चूँकि राष्ट्र अभी प्रगति कर रहा है, ऐसे में हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर शुरू करना आर्थिक एवं पारिस्थितिक कारणों से एक तार्किक कदम है।

परिस्थिति का आँकलन

विगत कई वर्षों से, मुंबई, बैंगलोर और दिल्ली जैसे भारतीय शहरों को दुनिया भर के शीर्ष दस शहरों में गिना जाता है, जहां सड़क यातायात का स्तर बेहद उच्च स्तर पर है। मुंबई में रहने वाले व्यक्ति को साल में 6 दिन से अधिक का समय ट्रैफिक में फंसते हुए बिताना पड़ता है। लोगों द्वारा वाहन खरीदने में होने वाली वृद्धि के बावजूद, इंटरसिटी मोबिलिटी अभी भी एक गंभीर मुद्दा है, प्रदूषण भी एक बड़ी चिंता है, यात्रा में लगने वाला समय बढ़ा है जिससे लोगों की उत्पादकता घटी है। शहरों में अभी तक अलग-अलग स्वतंत्र अर्थव्यवस्थाएं हैं जो समेकित क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में योगदान करने के लक्ष्य की पूर्ति नहीं करती हैं। 

बड़े पैमाने की परियोजना के साथ, मुंबई अहमदाबाद हाई स्पीड रेल (एमएएचएसआर) कॉरिडोर क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था हेतु रणनीतिक रुप से महत्वपूर्ण हो गया है। यह निम्नलिखित बातों के आधार पर मुंबई अहमदाबाद क्षेत्र में आर्थिक दक्षता प्रदान करने हेतु लक्षित है:

  • बेहतर कनेक्टिविटी के कारण नई नौकरियों का सृजन जिसके परिणामस्वरूप बेरोजगारी में कमी आई है
  • 'प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण' (टीओटी) के साथ कौशल बढ़ाने का अवसर
  • घरेलू आय में वृद्धि
  • यात्रा के समय में कमी
  • क्षेत्रीय कनेक्टिविटी
  • आवाजाही में आसानी
  • स्थानीय उद्योगों, रियल एस्टेट और अन्य उद्यमों को बढ़ावा
  • व्यापार के उन्नत अवसर

और इसलिए, जनसांख्यिकीय स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। चूंकि यह स्पष्ट हुआ है कि, ऐसी परियोजनाओं के कार्यान्वयन से आर्थिक लाभ के अलावा सामाजिक प्रभाव भी पैदा होते हैं।

आर्थिक विकास का मुख्य उत्प्रेरक

विश्व स्तर पर, एचएसआर ने उन शहरों और क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय योगदान दिया है जिनसे होकर यह गुजरता है। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस और यूनिवर्सिटी ऑफ हैम्बर्ग स्टेट में आर्थिक शिक्षाविदों द्वारा लिखा गया एक शोध-पत्र हाई-स्पीड रेल की क्षमता पर प्रकाश डालता है।

इस अध्ययन के अनुसार, एचएसआर से जुड़े शहरों में ऐसे पड़ोसी शहरों जिनमें एचएसआर स्टेशन नहीं थी, उनकी तुलना में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 2.7 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।

एचएसआर कॉरिडोर के ज़रिए बढ़ी हुई बाजार पहुंच और जीडीपी में वृद्धि के बीच सीधा संबंध देखा गया है। 300 किमी / घंटा की रफ्तार से चलने वाली ट्रेनों के साथ 2002 में कोलोन और फ्रैंकफर्ट को जोड़ने वाली एचएसआर लाइन के संदर्भ में, यह पाया गया कि बाजार पहुंच में 1 प्रतिशत की वृद्धि से जीडीपी में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि होती है।

स्रोत:https://blogs.lse.ac.uk/politicsandpolicy/the-economic-benefits-of-high-speed-rail-in-europe-can-now-be-demonstrated-beyond-doubt-now-the-uk-should-consider-investing-in-hsr-as-well/

इसका एक अन्य उदाहरण, लियोन और पेरिस के साथ इसके हाई-स्पीड रेल लिंक द्वारा शहर की फर्मों को फ्रांस की राजधानी तक बेहतर पहुंच से लाभ मिलना है। लियोन में डीयू हाई स्पीड रेलवे स्टेशन के आसपास के क्षेत्र में 2018 में 1.5 बिलियन यूरो का निवेश किया गया, जिसमें से अकेले 1.1 बिलियन का निवेश कार्यालय बाजार में किया गया था। तब से लियोन व्यापार और अवकाश पर्यटन के मामले में सबसे गतिशील यूरोपीय शहरों में से एक बनकर ऊभरा है, और 2016 में न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा इसे "यूरोप का अग्रणी सिटी ब्रेक डेस्टिनेशन" चुना गया था।

स्रोत:https://medias.businessimmo.com/default/0002/43/142939/web-etudewhyinvestlyon-2019.pdf

इसी तरह के आर्थिक बदलाव जापान में भी देखे गए हैं, जहां हाई स्पीड रेल द्वारा मुख्य 'विकसित क्षेत्र' से आसपास के क्षेत्रों में निवेश और आर्थिक गतिविधियों का विकास हुआ है। और स्पेन में, कई कस्बों और शहरों को राजधानी से बेहतर जुड़ाव से लाभ हुआ है - इसका एक उदाहरण लिलेडा है, जिसके हाई-स्पीड रेल लिंक ने माइक्रोसॉफ्ट और अन्य हाई-टेक कंपनियों से निवेश आकर्षित करने में मदद की है।

स्रोत: https://assets.publishing.service.gov.uk/government/uploads/system/uploads/attachment_data/file/3648/hs2-decisions-and-next-steps.pdf

भारत में इस सामाजिक-आर्थिक प्रोत्साहन की शुरुआत का उद्धरण देने के लिए, हम निम्नलिखित उदाहरण ले सकते हैं:

1) पालघर टाउनशिप परियोजना को एमएएचएसआर कॉरिडोर के साथ बेहतर कनेक्टिविटी हेतु विकसित किया जा रहा है:

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Article by: The Times of India-Mumbai Edition, 01 June 2021

2) शहर को 2036 ओलंपिक के आयोजन का एक आकर्षक स्थान बनाने के सकारात्मक कारक के रूप में एमएएचएसआर कॉरिडोर की पहुंच को ध्यान में रखते हुए अहमदाबाद को ओलंपिक के अगले मेजबान के रूप में तैयार करना:

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Article by: The Times of India-Ahmedabad Edition, 11 June 2021

'मेक इन इंडिया' के साथ अनुरुपता

पहले स्पैनर से लेकर अंतिम स्लैब ट्रैक तक, जिस पर बुलेट ट्रेन चलेगी, एमएएचएसआर को जापानी कंपनी शिनकानसेन के श्रेष्ठ मानकों को पूरा करना होगा और राष्ट्र में परिवहन प्रौद्योगिकी में उत्कृष्टता का नया पैमाना बनना स्थापित करना होगा। राष्ट्र का पहला एचएसआर कॉरिडोर होने के नाते, यह परियोजना प्रौद्योगिकी, अर्थव्यवस्था एवं सामाजिक जनसांख्यिकी में उन्नति और बाधाओं से आगे बढ़ने की इच्छा का प्रतीक है।

भारत-जापान संबंधों से एमएएचएसआर कॉरिडोर की अवधारणा बनाने में मदद मिली है और जापानी कार्यप्रणाली एवं प्रौद्योगिकी को सीखने और अनुकूलित करने की भारतीय कार्यबल की क्षमता के आधार पर इसपर कार्य किया जा रहा है।

एनएचएसआरसीएल हमारे कर्मचारियों के लिए जापान आधारित प्रशिक्षण प्रणाली तैयार करने पर बल देता है। चूँकि हाई-स्पीड रेल प्रौद्योगिकी को जापानी शिनकानसेन ट्रेन प्रौद्योगिकी से अपनाया जा रहा है, इसलिए उपकरण, प्रौद्योगिकी, सामग्री व प्रणालियों में महारत हासिल करने से कार्यबल को आगे चलकर उच्च वैश्विक मांगों को अनुकूलित करने में मदद मिलेगी।

ये शिक्षण केवल शीर्ष स्तर के प्रबंधन तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि जमीनी स्तर पर कार्य करने वाले कार्यबल को प्रशिक्षित एवं कुशल भी बनाया गया है। टीओटी पहलों में भारतीय ठेकेदारों की ट्रैक निर्माण में भागीदारी के अवसर को खोलना शामिल है। इसके लिए सूरत में एक सुविधा का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें ठेकेदार के कर्मचारी जापान के विशेषज्ञों द्वारा शिनकानसेन ट्रैक प्रौद्योगिकी में प्रशिक्षण और प्रमाणन हासिल करेंगे। योजना के अनुसार, लगभग 1,153 कर्मियों को शिनकानसेन निर्माण प्रौद्योगिकी और ओ एंड एम प्रक्रियाओं में प्रशिक्षित किया जाएगा। अनुमान के अनुसार, इस परियोजना से विकास को गति मिलेगी और निर्माण चरण के दौरान 90,000 लोगों को रोजगार के अवसर मिल सकते हैं, जिसमें से रखरखाव व संचालन में 4,000 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार और 20,000 लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेंगे।

इसके अलावा, एनएचएसआरसीएल वडोदरा स्थित अपने हाई-स्पीड रेल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (एचएसआरटीआई) की मदद से एक सुविधा भी बना रहा है, जिसमें भारत में भविष्य के सभी हाई-स्पीड रेल कार्यबल को प्रशिक्षण देने की कल्पना की गई है। इस प्रशिक्षण संस्थान में रोलिंग स्टॉक, सिविल व ट्रैक रखरखाव, इलेक्ट्रिकल, सिग्नल व दूरसंचार स्टेशन और ट्रेन चालक दल सहित विभिन्न विषयों में लगभग 3500 कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा।

क्षेत्रीय उद्योग

एमएएचएसआर कॉरिडोर में 12 स्टेशन आते हैं, जिनमें से 6 शहरी हैं (अहमदाबाद, आनंद, वडोदरा, भरूच, सूरत और वापी) और गुजरात औद्योगिक विकास निगम के औद्योगिक एस्टेट एवं क्लस्टर के प्रमुख केंद्र हैं। इंटरसेक्टरल संबंधों के आधार पर परस्पर जुड़े शहरों और आस-पास के जिले में एमएएचएसआर की वजह से कनेक्टिविटी बढ़ेगी और इससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

भविष्य के लिए निर्माण

एमएएचएसआर कॉरिडोर में पुल, ब्रिज या सुरंग जैसी कई संरचनाएं शामिल होंगी। निर्माण लागत में लगभग 70 प्रतिशत की हिस्सेदारी सिविल निर्माण की होगी, जो भारतीय ठेकेदारों के लिए खुली हैं। यह अनुमान है कि एमएएचएसआर से लगभग 75 मिलियन टन सीमेंट, 21 मिलियन टन स्टील और 0.14 मिलियन टन स्ट्रक्चरल स्टील की आवश्यकता पैदा होगी, जो सभी भारत में ही बने होंगे।

उसके पीछे का मुख्य उद्देश्य भारतीय इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी, निर्माण, विनिर्माण एवं अन्य संबद्ध उद्योगों को आवश्यक बढ़ावा देना है, जिससे विश्व स्तर पर इनकी क्षमता प्रदर्शित हो सकेगी। भारतीय कंपनियां पुर्जों के निर्माण के साथ-साथ पटरियों की फिटिंग में वैश्विक मानकों को पूरा करेंगी।

सकारात्मक बदलाव की शुरुआत

एचएसआर कॉरिडोर में राष्ट्रीय स्तर पर योगदान देने वाली अर्थव्यवस्थाओं को आकार देने हेतु शहरों और जिलों को मजबूती देकर वाणिज्यिक एवं सामाजिक-आर्थिक दक्षता को बढ़ावा देने की क्षमता है। यह न केवल व्यक्तिगत स्तर पर सीखने, प्रशिक्षण और यात्रा का बेहतर अवसर प्रदान करती है बल्कि उनके समग्र जीवन स्तर को भी बढ़ाती है। चाहे वह कोई एक व्यक्ति हो या पूरा राज्य, एचएसआर से होने वाले विकास से हर कोई लाभान्वित होता है, और ये लाभ हमेशा बने भी रहते हैं।