भारत की पहली भूमिगत और समुद्र के नीचे सुरंग का निर्माण कार्य चल रहा है, जिसकी लंबाई 21 किलोमीटर है। यह सुरंग बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स में स्थित मुंबई बुलेट ट्रेन के भूमिगत स्टेशन को महाराष्ट्र राज्य के शिल्पाता से जोड़ती है। कुल 21 किलोमीटर लंबी सुरंग में से 16 किलोमीटर की खुदाई टनल बोरिंग मशीनों का उपयोग करके की जा रही है, जबकि शेष 5 किलोमीटर का निर्माण न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग विधि (एनएटीएम) के माध्यम से किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, इस परियोजना में ठाणे क्रीक में समुद्र के नीचे सुरंग का 7 किलोमीटर का खंड शामिल है।
निम्नलिखित स्थानों पर निर्माण एवं उत्खनन कार्य प्रगति पर है:
- मुंबई एचएसआर स्टेशन निर्माण स्थल पर शाफ्ट 1: शाफ्ट की गहराई 36 मीटर, 100% सीकेंट पाइलिंग का काम पूरा हो गया है, खुदाई का काम अभी चल रहा है
- विक्रोली में शाफ्ट 2: शाफ्ट की गहराई 56 मीटर, 100% सीकेंट पाइलिंग का काम पूरा हो गया है। अभी तक, शाफ्ट के लिए लगभग 92% खुदाई पूरी हो चुकी है।
- सावली (घनसोली के पास) में शाफ्ट 3: शाफ्ट की गहराई 39 मीटर है, 100% खुदाई का काम पूरा हो चुका है। यह शाफ्ट पहली सुरंग खोदने वाली मशीन की सुविधा प्रदान करेगा, जिसे इस वर्ष के अंत तक उतारा जाना अपेक्षित है।
- शिलफाटा: यह सुरंग का एनएटीएम छोर है। पोर्टल का काम पहले ही पूरा हो चुका है और अब तक 200 मीटर खुदाई हो चुकी है।
- एडीआईटी (एडिशनली ड्रिवेन इंटरमीडिएट टनल) पोर्टल: 394 मीटर लंबी एडीआईटी सुरंग का निर्माण रिकॉर्ड समय यानी 6 महीने में पूरा हो चुका है। इससे शिलफाटा के अतिरिक्त उत्खनन कार्य के लिए दो अतिरिक्त एनएटीएम फेस की सुविधा मिल गई है। इस अतिरिक्त पहुंच के कारण 700 मीटर से अधिक सुरंग निर्माण कार्य पूरा हो चुका है।
11 मीटर X 6.4 मीटर के आंतरिक आयाम वाले एडीआईटी से निर्माण और परिचालन के दौरान मुख्य सुरंग तक वाहनों की सीधी पहुंच सुनिश्चित होगी और आपातकालीन स्थिति में निकासी प्रक्रिया के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकेगा।
टिल्ट, सेटलमेंट, वाइब्रेशन, दरारें और विरूपण की मॉनिटरिंग के लिए निर्माण स्थलों पर और उसके आसपास विभिन्न प्रकार के भू-तकनीकी उपकरण जैसे कि इनक्लिनोमीटर, कंपन मॉनिटर, ग्राउंड सेटलमेंट मार्कर, टिल्ट मीटर आदि स्थापित किए गए हैं। उत्खनन और सुरंग निर्माण सहित चल रहे भूमिगत कार्यों के साथ-साथ निकटवर्ती संरचनाओं को किसी भी संभावित जोखिम से बचाने में इन उपकरणों की भूमिका महत्वपूर्ण है।